One Nation One Subscription Scheme:- भारत जनवरी 2025 में “वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन” (ONOS) योजना की शुरुआत करने जा रहा है, जो शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इस योजना के तहत 1.8 करोड़ छात्रों और फैकल्टी को 30 प्रमुख प्रकाशकों, जैसे Elsevier, Springer Nature, और Wiley, के 13,400+ अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स तक मुफ्त पहुंच मिलेगी। यह योजना तीन साल (2025-2027) के लिए 6,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय योजना के रूप में कार्यान्वित होगी।
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इस योजना के अंतर्गत 451 राज्य विश्वविद्यालयों, 4,864 कॉलेजों और 172 राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों सहित 6,380 उच्च शिक्षा और शोध संस्थानों को यह शीर्ष जर्नल्स मुफ्त में मिलेंगे। यह योजना भारत के डिजिटल अंतराल को पाटने और देशभर के संस्थानों के लिए एक समान शैक्षिक और शोध संसाधन प्रदान करने का प्रयास करती है।
One Nation One Subscription Scheme Overview
इस योजना के तहत, सभी शोधकर्ताओं को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म से संसाधन मिलेंगे, जिससे शोध में समावेशन बढ़ेगा। इससे छोटे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को भी विश्वस्तरीय शोध सामग्री तक पहुंच प्राप्त होगी, जो अब तक एक बाधा थी। ONOS न केवल शोधकर्ताओं के लिए, बल्कि अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए भी एक बड़ा कदम है, क्योंकि यह उन्हें भी उच्चतम स्तर के शोध जर्नल्स तक पहुंच प्रदान करेगा। इससे छात्रों में नवाचार और समस्या सुलझाने की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
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साथ ही, ONOS से भारत के शोध परिदृश्य में बड़ा बदलाव आएगा, जो देश को वैश्विक ज्ञान निर्माण और नवाचार के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान दिलाने में मदद करेगा। यह योजना भारत के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के दृष्टिकोण से भी मेल खाती है, जो एक शोध-आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ा रही है। योजना के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ हो सकती हैं, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव भारतीय शिक्षा और शोध क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा।
योजना की प्रमुख विशेषताएँ
केंद्रीकृत डिजिटल पहुंच: इस योजना के तहत भारत सरकार ने एक केंद्रीकृत सब्सक्रिप्शन प्लेटफॉर्म स्थापित किया है। INFLIBNET (Information and Library Network) जो कि यूजीसी (University Grants Commission) के तहत एक स्वायत्त केंद्र है, इसे इस योजना का समन्वयक नियुक्त किया गया है। इसके माध्यम से सभी संबंधित संस्थानों को विश्व स्तरीय शैक्षिक संसाधनों तक डिजिटल पहुंच प्राप्त होगी।
प्रमुख प्रकाशकों का समावेश: इस योजना के तहत 13,000 से अधिक उच्च-प्रभाव वाले ई-जर्नल्स और शोध पत्रिकाओं तक पहुंच प्रदान की जाएगी। इसमें प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशकों जैसे Elsevier ScienceDirect, Springer Nature, Wiley, SAGE, और Oxford University Press आदि के संसाधन शामिल होंगे। ये सभी प्रकाशक दुनिया भर में शोध और शिक्षा के क्षेत्र में शीर्ष माने जाते हैं।
समावेशी पहुंच: योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसका लाभ सिर्फ बड़े शहरों और प्रतिष्ठित संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि, इस योजना का उद्देश्य Tier 2 और Tier 3 शहरों और क्षेत्रों में स्थित संस्थानों और शोधकर्ताओं को भी समान रूप से उच्च गुणवत्ता के शैक्षिक संसाधन उपलब्ध कराना है। इससे भारत के विभिन्न हिस्सों में शैक्षिक और शोध संसाधनों तक पहुंच की असमानता को समाप्त किया जाएगा।
केंद्रीकृत फंडिंग और वित्तीय स्थिरता: इस योजना के लिए ₹6,000 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। यह फंडिंग तीन वर्षों के लिए होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि संस्थानों को बिना किसी वित्तीय बोझ के इन उच्च-प्रभाव वाले संसाधनों का लाभ मिले। केंद्रीय सब्सक्रिप्शन प्रणाली के माध्यम से संस्थानों को इस फंड का वितरण किया जाएगा, जिससे लागत में कमी आएगी और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
स्थानीय शोध को बढ़ावा: इस योजना में भारतीय लेखकों और शोधकर्ताओं के योगदान को भी महत्व दिया जाएगा। योजना के तहत भारतीय लेखकों के शोध प्रकाशनों की निगरानी की जाएगी और उन्हें वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने के प्रयास किए जाएंगे। इससे घरेलू शोध और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय शोधकर्ताओं का वैश्विक अनुसंधान समुदाय में योगदान बढ़ेगा।
छात्रों और शिक्षकों के लिए लाभ
- शोध के अवसरों में वृद्धि: ग्लोबल जर्नल्स तक आसान पहुंच से शोध क्षमता में सुधार होगा।
- लागत में कमी: संस्थानों को व्यक्तिगत सब्सक्रिप्शन की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे वित्तीय बोझ कम होगा।
- स्थानीय शोध को बढ़ावा: भारतीय लेखकों के प्रकाशन पर निगरानी की जाएगी, जिससे घरेलू योगदान को बढ़ावा मिलेगा।
- शिक्षण परिणामों में सुधार: दूरदराज और कम संसाधन वाले क्षेत्रों के छात्र और शिक्षक भी उच्च गुणवत्ता वाले संसाधनों तक पहुंच पाएंगे।
लाभार्थी और लक्ष्य समूह
“एक देश एक सब्सक्रिप्शन” योजना का लाभ 1.8 करोड़ छात्र, शिक्षक, और शोधकर्ताओं को मिलेगा। कुल मिलाकर 6,300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षा संस्थान, शोध संस्थान और R&D प्रयोगशालाएँ इस योजना के तहत कवर की जाएंगी। इनमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के तहत संचालित विश्वविद्यालय, कॉलेज और अनुसंधान संस्थान शामिल हैं। यह योजना विशेष रूप से उन संस्थानों के लिए फायदेमंद है जो वित्तीय और भौतिक संसाधनों की कमी के कारण उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक और शोध संसाधनों तक पहुंच नहीं पा रहे हैं।
योजना के प्रमुख लाभ
शोध के अवसरों में वृद्धि: छात्रों और शोधकर्ताओं को अब उच्च गुणवत्ता के अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं और लेखों तक सीधी पहुंच प्राप्त होगी, जो उनके शोध कार्यों को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाएगी। इससे नए विचारों और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और भारत में शोध की गुणवत्ता में सुधार होगा।
लागत में कमी: पहले संस्थानों को प्रत्येक शोध पत्रिका के लिए अलग-अलग सब्सक्रिप्शन शुल्क चुकाना पड़ता था, जो अक्सर वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण होता था। ONOS योजना के तहत, अब सभी संस्थानों को एक केंद्रीय सब्सक्रिप्शन के माध्यम से इन संसाधनों तक पहुंच मिलेगी, जिससे लागत में भारी कमी आएगी।
स्थानीय शोध को बढ़ावा: भारतीय शोधकर्ताओं के लिए यह एक बड़ा अवसर है, क्योंकि उनके शोध कार्यों की गुणवत्ता और महत्व को अब वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया जा सकेगा। यह योजना भारतीय शोधकर्ताओं को वैश्विक अनुसंधान समुदाय में सम्मान और पहचान दिलाने में मदद करेगी।
समाज में शैक्षिक समानता: ONOS योजना का एक प्रमुख उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में असमानताओं को समाप्त करना है। विशेष रूप से दूरदराज और कम संसाधन वाले क्षेत्रों के छात्रों और शोधकर्ताओं को अब उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक और शोध संसाधन प्राप्त होंगे, जिससे सभी छात्रों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जाएंगे।
शैक्षिक सुधार और नवाचार: योजना के तहत, छात्रों और शोधकर्ताओं को उच्च गुणवत्ता के शोध संसाधन मिलेंगे, जिससे शिक्षा और शोध के क्षेत्र में सुधार होगा। इससे न केवल शोध कार्यों में उत्कृष्टता आएगी, बल्कि भारत में नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।