Jalvahak Scheme:- केंद्र सरकार ने भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग 1 (गंगा), 2 (ब्रह्मपुत्र) और 16 (बराक नदी) पर आर्थिक और टिकाऊ परिवहन को प्रोत्साहित करने के लिए ‘जलवाहक’ योजना का शुभारंभ किया है। इस पहल का उद्देश्य देश के माल परिवहन क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार करना और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन के माध्यम को बढ़ावा देना है।
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केंद्रीय पोत, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस योजना की शुरुआत करते हुए तीन मालवाहक जहाजों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
Jalvahak Scheme Objective
‘Jalvahak Yojana’ योजना का मुख्य उद्देश्य सड़क और रेल नेटवर्क पर बोझ कम करना, लॉजिस्टिक्स लागत को घटाना और देश के जलमार्गों की व्यावसायिक क्षमता को उजागर करना है। इस योजना के तहत, 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक जलमार्ग से माल भेजने वाले व्यापारियों को उनके परिचालन खर्च का 35% तक रिफंड मिलेगा। यह न केवल आर्थिक रूप से लाभप्रद है बल्कि इसे पर्यावरण की दृष्टि से भी एक प्रभावी कदम माना जा रहा है।
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सोनोवाल ने कहा कि Jalvahak Yojana के माध्यम से भारत को ‘ट्रांसफॉर्मेशन थ्रू ट्रांसपोर्टेशन’ के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि जलमार्ग परिवहन में समयबद्धता सुनिश्चित करते हुए लंबी दूरी के माल परिवहन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
फिक्स्ड-शेड्यूल सर्विस और जलमार्ग का विस्तार
Fixed-schedule service and expansion of waterways
Jalvahak Scheme के तहत कोलकाता से पटना-वाराणसी और कोलकाता से पांडु (गुवाहाटी) मार्गों पर फिक्स्ड-शेड्यूल सेवा चलाई जाएगी। यह सेवा यह सुनिश्चित करेगी कि जलमार्ग का उपयोग प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जाए।
सोनोवाल ने इस अवसर पर तीन जहाजों को हरी झंडी दिखाई। इन जहाजों में:-
- MV Trishul: 1,500 टन सीमेंट लेकर गुवाहाटी की ओर रवाना हुआ।
- MV Aai: 1,000 टन जिप्सम लेकर पटना के लिए रवाना हुआ।
- MV Homi Bhaba: 200 टन कोयला वाराणसी के लिए भेजा गया।
Jalvahak Scheme विस्तारित आंकड़े और भविष्य की योजनाएं
मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय जलमार्गों पर माल परिवहन 2013-14 में 18.07 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 132.89 मिलियन टन हो गया है, जो 700% की वृद्धि को दर्शाता है। सरकार ने 2030 तक इस आंकड़े को 200 मिलियन टन और 2047 तक 500 मिलियन टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
“यह योजना न केवल परिवहन लागत को कम करेगी बल्कि जलमार्गों की संभावनाओं को भी सामने लाएगी। यह देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर को एक नया आयाम देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी,” सोनोवाल ने कहा।
इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट पर विशेष ध्यान
Special focus on Indo-Bangladesh rocket route
‘जलवाहक’ योजना के तहत इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह रूट भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक गतिविधियों को आसान और सुगम बनाएगा। केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने इस अवसर पर बताया कि सरकार बांग्लादेश में चल रही अस्थिरता के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार पर कड़ी नजर रखे हुए है और किसी भी समस्या की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में निजी भागीदारी
Private Participation in Logistics Sector
योजना के कार्यान्वयन में निजी कंपनियों की भागीदारी भी अहम भूमिका निभा रही है। 2023 में, अल्ट्राटेक ने पहली बार जलमार्ग और तटीय परिवहन का उपयोग करते हुए 57,000 मीट्रिक टन फॉस्फोजिप्सम ओडिशा के पारादीप पोर्ट से गुजरात के अमरेली स्थित अपने सीमेंट निर्माण इकाई तक पहुंचाया। यह कदम जलमार्ग परिवहन की क्षमता को दर्शाता है और अल्ट्राटेक ने इसे अपने टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला ढांचे के हिस्से के रूप में अपनाया है।
योजना का आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व
‘जलवाहक’ योजना के तहत 2027 तक 800 मिलियन टन-किलोमीटर का मोडल शिफ्ट संभव है, जिसमें 95.4 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है। यह योजना न केवल भारत की जल परिवहन क्षमताओं को उजागर करेगी बल्कि प्रदूषण को कम करने और ऊर्जा खपत को घटाने में भी मददगार साबित होगी।
चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि भारत के पास 20,236 किमी लंबा अंतर्देशीय जलमार्ग नेटवर्क है, जो अमेरिका और चीन जैसे देशों की तुलना में काफी कम उपयोग में है। इस दिशा में ‘जलवाहक’ योजना एक महत्वपूर्ण पहल है। यदि इस योजना को सही तरीके से लागू किया गया तो यह न केवल आर्थिक विकास को गति देगा बल्कि देश के परिवहन क्षेत्र को भी सुदृढ़ बनाएगा।